स्टमक कैंसर के उपचार में मददगार स्टडी रिपोर्ट

स्टमक कैंसर के उपचार में मददगार स्टडी रिपोर्ट

अक्सर विवादों में रहने वाले जेएनयू कैम्पस से एक अच्छी खबर आई है. जेएनयू ने रिसर्चर ने एक स्टडी कर यह बताया है कि हल्दी से पेट के कैंसरका उपचार किया जा सकता है.

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के स्टूडेंट्स द्वारा किए गए रिसर्च स्टडी में यह खुलासा हुआ है. रिसर्चर ने यह पाया कि स्टमक कैंसर की दवाओं  में यदि हल्दी के असर की मदद ली जाए तो इसका सफलतापूर्वक उपचार किया जा सकता है. असल में स्टूडेंट हल्दी के तत्व करकुमिन के ऑक्स‍िडेशन का अध्ययन कर रहे थे.

इसी दौरान उन्हें इसकी जानकारी मिली. ये सभी स्टूडेंट बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर रूपेश चतुर्वेदी के मार्गदर्शन में रिसर्च कर रहे हैं.

स्टूडेंट्स ने इस बारे में एक विस्तृत रिसर्च पेपर प्रकाशित किया है. इसमें यह बताया गया है कि उन्होंने लखनऊ के 40 लोगों के एक समूह पर ट्रायल किया था और उसके आधार पर मिले सैम्पल से यह निष्कर्ष सामने आया है.

रिसर्च के अनुसार, हेलीकोबाक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया पेट में अल्सर पैदा करने वाले प्रमुख बैक्टीरिया में से है. इस बैक्टीरिया से ग्रसित खाद्य पदार्थों के लगातार उपभोग से पेट कैंसर से ग्रसित हो सकता है.

रिसर्च के अनुसार, लखनऊ के जिन 40 लोगों के सैम्पल लिए गए उनमें से 39 ने ऐसे खाद्य पदार्थों का उपभोग किया था (मुख्यत: जंक फूड) जिनकी वजह से उनके शरीर में हेलीकोबाक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया पनप गया था.

पांच रिसर्चर स्टूडेंट रोहित तिवारी, अलका यादव, ज्योति गुप्ता, ज्योति और अच्युत पांडेय ने उक्त बैक्टीरिया पर हल्दी के प्रभावों का अध्ययन किया और यह पाया कि इससे निपटने में हल्दी मदद करता है.

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